Sunday, August 09, 2015

'गर मेरे पहले प्यार ने पुकारा मुझे


आज सुंदरैया विज्ञान भवन पहुँचा कि वहाँ से WTO-GATTS भगाओ जुलूस में शामिल होकर इंदिरा पार्क रैली के लिए पहुँचना है। वहाँ कई तरह के कार्यक्रम होते रहते हैं। देखा बैनर लगा है कि अजय सिंह की कविताओं की किताब 'राष्ट्रपति भवन में सूअर' का लोकार्पण है। नीचे गोलमेज वाले वाले छोटे कमरे में गया तो भाषा सिंह से मुलाकात हुई। पता चला कि प्रो. हरगोपाल वहाँ बोलने वाले हैं तो मैं भी बैठ गया। अजय जी से मिलकर और उनका वक्तव्य सुनकर अच्छा लगा। 
हमारा जुलूस तो चल पड़ा था। मैं प्रो. हरगोपाल के साथ रैली में आया। 


हर बार तेलुगु वक्ताओं के आखिर में मुझे कुछ कहना पड़ता है और हिंदी में बात करते हुए हमेशा परेशान रहता हूँ। यह एक कमी जीवन में रह गई - तेलुगु भाषा सीख नहीं पाया। 
बहरहाल पिछली पोस्ट में सेरा टीसडेल की कविताएँ कइयों को पसंद आईं। तो इस बार तीन और कविताएँ पोस्ट कर रहा हूँ। ये भी 'सदानीरा' में आई हैं। कुछ फॉन्ट की दिक्कत आ रही है। 

I Am Not Yours
I am not yours, not lost in you,
Not lost, although I long to be
Lost as a candle lit at noon,
Lost as a snowflake in the sea.

You love me, and I find you still
A spirit beautiful and bright,
Yet I am I, who long to be
Lost as a light is lost in light.

Oh plunge me deep in love—put out
My senses, leave me deaf and blind,
Swept by the tempest of your love,
A taper in a rushing wind.
  
मैं तुम्हारी नहीं हूँ
मैं तुम्हारी नहीं, तुममें समाई भी नहीं
खोई नहीं, खो जाना चाहती लेकिन 
दुपहर की धूप में 
जैसे शमा खो जाए
या खो जाए बर्फ़ का फाहा समंदर में।

तुम मेरे आशिक हो, और अब भी मेरे लिए
रुह हो खूबसूरत और दमकती हुई
पर मैं तो मैं हूँ, और खोना चाहती हूँ
जैसे रोशनी में रोशनी खो जाए।

मुझे प्रेम में डुबो लो गहरे - बुझा दो
सब मेरे अहसास, सुनना देखना सब,
तुम्हारे प्रेम के तूफां में बह जाऊँ 
झूमती हवाओं में ज्यों कोई तिनका।

The Flight

Look back with longing eyes and know that I will follow,
Lift me up in your love as a light wind lifts a swallow,
Let our flight be far in sun or blowing rain—
But what if I heard my first love calling me again?

Hold me on your heart as the brave sea holds the foam,
Take me far away to the hills that hide your home;
Peace shall thatch the roof and love shall latch the door—
But what if I heard my first love calling me once more?



उड़ान

चाह भरी निगाहों से देखो तो सही मुड़कर, पीछे-पीछे आती मुझको
अपने प्यार में उड़ा ले चलो मुझे जैसे मंद हवा परिंदे को ,
धूप में या बारिश की बौछारों में हम दूर तक उड़ें -
पर मैं क्या करूँ 'गर मेरे पहले प्यार ने पुकारा मुझे?

अपने दिल में यूँ थामो मुझे जैसे झाग को बहादुर समंदर थामे,
दूर उन पहाड़ों के पीछे ले चलो मुझे, तुम्हारा घर छिपा है जहाँ;
अम्न तुम्हारे छत की छाजन होगा, और प्यार तुम्हारे दर की अर्गला
पर मैं क्या करूँ 'गर मेरे पहले प्यार ने पुकारा मुझे?
A Winter Blue Jay

Crisply the bright snow whispered,
Crunching beneath our feet;
Behind us as we walked along the parkway,
Our shadows danced,
Fantastic shapes in vivid blue.
Across the lake the skaters
Flew to and fro,
With sharp turns weaving
A frail invisible net.
In ecstasy the earth
Drank the silver sunlight;
In ecstasy the skaters
Drank the wine of speed;
In ecstasy we laughed
Drinking the wine of love.
Had not the music of our joy
Sounded its highest note?
But no,
For suddenly, with lifted eyes you said,
“Oh look!”
There, on the black bough of a snow flecked maple,
Fearless and gay as our love,
A bluejay cocked his crest!

जाड़ों में नीलपाखी
कुरकुरी दमकती बर्फ हमारे पैरों तले
चूर होती फिसफिसा रही थी;
पार्कवे पर जब हम टहल रहे थे
हमारे पीछे हमारे नाचते साए बना रहे थे
ग़जब साफ एकदम नीली आकृतियाँ।
झील के आर-पार स्केट्स पर,
आगे-पीछे फिसल रहे थे लोग,
अचानक मुड़ते
बुनते अदृश्य नर्म जाल।
धरती नशे में चमकती धूप पी रही थी;
स्केट्स पर लोग
तेजी से फिसलने के नशे में थे;
इश्क की मय पीते
उल्लास में हम हँस रहे थे।
हमारे उल्लास का सरगम
सप्तक पर था न?
पर नहीं,
अचानक नज़रें उठाकर कहा तुमने, 'अरे देखो!',
बर्फ के धब्बों वाले मेपल पेड़ की काली डार
हमारे प्यार जैसा निडर और मदमस्त,
रहा था नीलपाखी अपने पंख पसार !

No comments: